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साई बाबा की पूजा की विधि

1) साईं बाबा को पवित्र स्नान: साईं बाबा की मूरत या फोटो को सबसे पहले आप त्रिमिद (पानी , दूध और दही ) के मिश्रण से स्नान करवाए. फिर साफ़ पानी से पुनः स्नान करवाकर साफ़ रेशमी कपडे से धीरे धीरे साफ करें.

2) 2 दीपक साईं बाबा के नाम जलायें: 2 दीपक साईं बाबा के आगे घी से जलायें. घी के दीपक में घी इतना डाले की वो कम से कम २० मिनिट तक जल सके.

3) साईं सतचरित्र का पाठ: उसके बाद श्री साई सत्चरित्र का पाठ करे या उनके बारे में दिल से मनन करे उन्हें दिल से धन्यवाद दे. फिर आप साई बाबा के 108 नाम वाली साई सतचरित्र का पाठ भी कर सकते है[show_more more=”Continue Reading”]

4) साईं बाबा के मंत्र उचारण : श्री साई बाबा के मंत्रो का उच्चारण करे. जय जय साईं राम साईं राम हरे हरे या ॐ साईं नाथाय नमः ॐ श्री शिर्डी देवाय नमः

5) साईं बाबा को भोजन अर्पण : श्री साईं बाबा को फिर भोजन फल फ्रूट अर्पण करे. वही भोजन अर्पण के बाद आप प्रसाद ले ले और बचे हुए भोजन को गाय कुते और अन्य जीवो में बाँट दे .

6) श्री साईं बाबा मनन : हर दिन श्री साईं बाबा से अपने दिल की बात कहे ….उन्हें अपना मित्र गुरु समझ कर हमेशा उनसे जुड़े रहे | उन्हें महसूस करे | साईनाथ के दो अनमोल रत्न पर पूर्ण विश्वास रखे जो है श्रद्दा और सबुरी |

साई बाबा का व्रत कोई भी व्यक्ति कर सकता है। इस व्रत को करने के नियम भी अत्यंत साधारण हैं। साई बाबा अपने भक्तों की हर इच्छा पूरी करते हैं।

उनकी कृपा से सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मांगने से पहले ही वे सब कुछ देते हैं। उनके स्मरण मात्र से जीवन में आ रही बाधाओं में कमी होती है। कहा भी जाता है कि शिर्डी वाले श्री साई बाबा की महिमा का कोई और छोर नहीं है। साई बाबा पर पूरा विश्वास करने वालों को कभी निराशा का सामना नहीं करना पड़ता है।

साईं बाबा आरती 1

आरती श्री साईं गुरुवर की |

शिर्डी साईं बाबा आरती परमानन्द सदा सुरवर की ||

जा की कृपा विपुल सुखकारी |

दुःख, शोक, संकट, भयहारी ||

शिरडी में अवतार रचाया |

चमत्कार से तत्व दिखाया ||

कितने भक्त चरण पर आये |

वे सुख शान्ति चिरंतन पाये ||

भाव धरै जो मन में जैसा |

पावत अनुभव वो ही वैसा ||

गुरु की उदी लगावे तन को |

समाधान लाभत उस मन को ||

साईं नाम सदा जो गावे |

सो फल जग में शाश्वत पावे ||

गुरुवासर करि पूजा – सेवा |

उस पर कृपा करत गुरुदेवा ||

राम, कृष्ण, हनुमान रूप में |

दे दर्शन, जानत जो मन में ||

विविध धर्म के सेवक आते |

दर्शन कर इच्छित फल पाते ||

जै बोलो साईं बाबा की |

जो बोलो अवधूत गुरु की ||

`साईंदास` आरती को गावे |

घर में बसि सुख, मंगल पावे ||

साईनाथ आरती 2

शिर्डी साईं बाबा

आरती उतारे हम तुम्हारी साईँ बाबा । चरणों के तेरे हम पुजारी साईँ बाबा ॥

विद्या बल बुद्धि, बन्धु माता पिता हो l तन मन धन प्राण, तुम ही सखा हो ll

हे जगदाता अवतारे, साईँ बाबा । आरती उतारे हम तुम्हारी साईँ बाबा ॥

ब्रह्म के सगुण अवतार तुम स्वामी l ज्ञानी दयावान प्रभु अंतरयामी ll

सुन लो विनती हमारी साईँ बाबा । आरती उतारे हम तुम्हारी साईँ बाबा ॥

आदि हो अनंत त्रिगुणात्मक मूर्ति l सिंधु करुणा के हो उद्धारक मूर्ति ll

शिरडी के संत चमत्कारी साईँ बाबा । आरती उतारे हम तुम्हारी साईँ बाबा ॥

भक्तों की खातिर, जनम लिये तुम l प्रेम ज्ञान सत्य स्नेह, मरम दिये तुम ll

दुखिया जनों के हितकारी साईँ बाबा । आरती उतारे हम तुम्हारी साईँ बाबा ॥

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साईं को खुश करने के लिए रखे खास व्र्त

 

इस व्रत को सभी स्त्री, पुरुष और बच्चे कर सकते हैं।

किसी भी जाति या धर्म का व्यक्ति इस व्रत को कर सकता है।

यह व्रत बहुत ही चमत्कारिक है। सात या नौ गुरुवार विधिपूर्वक इस व्रत को करने से निश्चित ही इच्छित फल की प्राप्ति होती है।

यह व्रत किसी भी गुरुवार को साई बाबा का नाम लेकर शुरू किया जा सकता है। जिस अभीष्ट कार्य के लिए व्रत किया जाए, उसकी धारणा सच्चे मन से करते हुए साई व्रत को करना चाहिए।

किसी आसन पर पीला कपड़ा बिछाकर उस पर साई की सिद्ध प्रतिमा रखकर चंदन या कुमकुम का तिलक लगाना चाहिए और उन पर पीले फूल का हार चढ़ाना चाहिए। फिर अगरबत्ती और दीपक जलाकर साई व्रत की कथा पढ़नी चाहिए और साई बाबा का स्मरण करना चाहिए उसके बाद प्रसाद बांटना चाहिए। प्रसाद में कोई भी फल या मिठाई बांटी जा सकती है।

यह व्रत फलाहार लेकर, जैसे-दूध, चाय, फल, मिठाई अथवा एक समय भोजन करके भी किया जा सकता है।

सात या नौ गुरुवार को हो सके तो साई बाबा के मंदिर जाकर उनके दर्शन भी अवश्य करें और नियम से उनकी आरती में भी शामिल हों, नहीं तो घर पर ही श्रद्धापूर्वक साई बाबा की पूजा व आरती की जा सकती है।

कहीं आवश्यक काम से बाहर जाना पड़ जाए, तो भी इस व्रत को किया जा सकता है।

व्रत के समय स्त्रियों को मासिक धर्म की समस्या आ जाए अथवा किसी कारण से व्रत न हो पाए तो उस गुरुवार को 7 या 9 गुरुवार की गिनती में शामिल न किया जाए। उस गुरुवार के बदले अन्य गुरुवार को व्रत करके अपने व्रत पूरे करें, तत्पश्चात उद्यापन करना न भूलें। साथ ही साथ अगर आप चाहते हैं कि साई बाबा को सुंदर पोशाक पहनाया जाए तो आप वो भी कर सकते हैं. आप ऑनलाइन पोशाक खरीद सकते हैं. अधिक जानकारी के लिए इस  लिंक पर क्लिक करे

 

साईं सत्चरित्र का रख रखाव

 

ऐसा माना जाता है कि हर साईं भक्त के पास श्री साईं सत्चरित्र की किताब या ऑडियो संस्करण होना चाहिए और उस साईं सत्चरित्र का पाठ कुछ नियमो के अनुसार करना चाहिए .

शिर्डी साईं बाबा सत्चरित्र

साईं सत्चरित्र के लिए कुछ नियम और कर्तव्य इस तरह है .

 

1)श्री साईं सत्चरित्र किताब को प्राप्त करे और अच्छे से उस पर कवर चदाये हो सके तो उस पर लाल कपडा लगाये .

2) इस साईं सत्चरित्र को अपने घर के मंदिर में बाबा साईं की फोटो या मूर्ति के पास रखे

3) श्री साईं सत्चरित्र को अच्छे से मन लगा के कम से कम १५ मिनिट जरुर पड़े और उसमे से श्री साईं बाबा के प्रति ज्ञान प्राप्त करे .

4) रात्रि में सोने से पहले साईं बाबा की सत्चरित्र में से कुछ लाइन्स जरुर पड़े जिससे सोते वक़्त साईं बाबा आपकी अंतिम यद् में रहे

5) यदि साईं सत्चरित्र को पड़ते वक़्त बाबा साईं की मूरत या फोटो देख सके तो यह सबसे अच्छा होगा

6) श्री साईं सत्चरित्र किताब को हो सके तो अन्य साईं भक्तो तक पहुचाये

श्री साईं बाबा के महामंत्र

श्री साईं बाबा के 108 नाम भी साईं महामंत्र के रूप में काम में लिए जा सकते है . साईं बाबा के 108 नाम को हम साईं बाबा नामवाली कहते है . साईं बाबा के मंत्र उच्चारण से हम साईं बाबा के करीब पहुच सकते है क्योकि हर मंत्र चमत्कारी और शक्तिशाली होते है जिनमे ईश्वर के करीब तक जाने की शक्ति होती है .

शिर्डी साईं बाबा महामंत्र

1) ॐ साईं राम

शिर्डी साईं बाबा महामंत्र  

2) जय जय साईं राम

3) सबका मालिक एक है

4) ॐ साईं देवाय नमः

5) ॐ साईं गुरुवाय नमः

6) ॐ शिर्डी देवाय नमः

7) ॐ सर्व देवाय रूपाय  नमः

8) ॐ समाधिदेवाय नमः

9) ॐ अजर अमराय नमः

10) ॐ मालिकाय नमः

11)ॐ फखिरदेवाय नमः  

12) ॐ शिर्डी वासाय विद्महे सच्चिदानंदाय  धीमहि  तनो साईं प्रचोदयात    

13) ॐ सर्वज्ञा सर्व देवता सवरूप अवतारा , सत्य धर्म शांति प्रेमा स्वरूप अवतारा, सत्यम शिवम् सुन्दरम स्वरुप अवतारा , अनंत अनुपम ब्रह्म स्वरूप अवतारा , ॐ परमानंद श्री शिर्डी नाथाय नमः

 
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