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यु तो लड्डू गोपाल जो भी पहने वो सुन्दर ही लगते हैं पर कुछ पोशाक पहन कर वो और भी खुश हो जाते हैं।
लड्डू गोपाल या बाल कृष्णा की सबसे मनपसंद पोशाक की कहानी उनके बाल काल से जुडी है जब वो गाय चराने वन में जाते थे और गोपियों के कलश फोड़ दिया करते थे।
गाय कृष्ण जी को सदैव ही प्रिय थी और इसी लिए उनकी मनपसंद पोशाक भी वही है जिसका आकार स्वयं गौ रूप का है।
इस पोशाक को खास अवसर जैसे जन्माष्टमी, गौ अष्टमी, गोवर्धन इत्यादि पे पहना सकते हैं । ये कई रंगों में उपलब्ध है और हर रंग का अपना महत्व है।
ठाकुर जी का समस्त जीवन रंगारंग रहा है। रंग उन्हें अति प्रिय हैं और रंगों का महत्व हरी के हर रूप में है।

ठाकुर जी की लाल पोशाक
नन्द लाल के श्रृंगार में लाल रंग का महत्व बहुत अधिक है। होली पे गोपाल जी टेसू के फूलों से लाल गुलाल बना कर राधा रानी जी के संग होली खेलते थे और राधा जी को भी लाल चुनार अति प्रिय थी जिससे ठाकुर जी उनका श्रृंगार करा करते थे।

हरी की प्यारी हरी पोशाक
ठाकुर जी की हरी पोशाक जो एक गौ रूप में है अति मनमोहक है। ये याद दिलाती है कृष्णा के प्रिय शुक की जो की एक हरे तोते के रूप में है। हरी नाम की प्रेरणा देती ये हरी पोशाक वृन्दावन की निधिवन की भी याद दिलाएगी।

पीताम्बरी पीली पोशाक
हमारे गोपाल का एक नाम पीताम्बधारी भी है क्योंकि उनको पीला पहनना बहुत ही प्रिय था। श्याम रंग गोपाल पहने पीताम्बर निराली चाल। पीले में आपके स्वर्णिम लड्डू गोपाल और भी चमक उठेंगे तथा और भी चटक मटक भाव प्रस्तुत करेंगे। बाल गोपाल को प्रिय है पीला गौ रूप पोशाक

आगे हम बात करेंगे दुसरे दृश्य की जहाँ बाल गोपाल अपने सखाओं के साथ गोपियों के कलश या मटके फोड़ दिया करते थे। उसी दृश्य का हर समय साक्षात्कार करने कके लिए और उस दृश्य की झांकी अपने घर मंदिर और मन मंदिर में बसाने के लिए एक पोशाक बनाई गई है।
ये कलश रुपी पोशाक शुभता का प्रतीक तो है ही पर ये प्रेम का प्रतीक भी है। इसमें माखन चोर के नटखट छवि है जो आपके घर को पवित्र ही नहीं बल्कि आनंदमय भी रखेगी।
इस जन्माष्टमी लाये ये सुन्दर पोशाक अपने घर और आनंद उठाएं प्रेम की झांकियों का।