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खाटू श्याम बाबा का मेला Khatu shyam baba mela फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी से शुरू होकर द्वादशी तिथि ( बारस ) तक यानि पांच दिन के लिया आयोजित किया जाता है। कुछ लोग होली मनाने तक यहाँ रुकते हैं। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की ग्यारस के दिन दर्शन का विशेष महत्त्व माना जाता है।
इस वर्ष यह मेला बारह दिन का होगा और पड़वा से ही शुरू हो जायेगा । खाटूश्याम के दर्शन के लिए दूर दूर से लोग यहाँ आते हैं। कुछ लोग रींगस से पैदल यात्रा ( निशान यात्रा ) करते हुए खाटू धाम पहुंचते हैं। कुछ लोग वाहन से और कुछ दंडवत करते हुए खाटू श्याम के दर्शन करने आते हैं।

खाटूश्याम का मंदिर कहाँ है और कैसे पहुंचें
खाटू वाले श्याम बाबा का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है। जयपुर शहर से 62 किलोमीटर की दूरी पर रींगस है और रींगस से खाटूश्याम मंदिर की दूरी लगभग 18 किलोमीटर है। जयपुर, रींगस और सीकर रेल मार्ग से जुड़े हुए हैं। मेले में रेल प्रशासन की ओर से अतिरिक्त रेल चलाई जाती हैं।
दिल्ली से सड़क मार्ग से गुडग़ाव, कोटपूतली, नीमकाथाना, श्रीमाधोपुर से रींगस होते हुए बस या कार से खाटू आया जा सकता है। इसके अलावा सीकर, दांतारामगढ, रेनवाल से भी सड़क मार्ग से खाटू सीधा पहुंचा जा सकता है। खाटू धाम में धर्मशाला , होटल , रेस्टोरेंट आदि की पर्याप्त और अच्छी सुविधा है।
भक्त लोग गाते बजाते ध्वजा , नारियल , झांकी के साथ खाटू पहुँचते हैं। रास्ते में भक्तों द्वारा भक्तों के लिए निशुल्क चाय , नाश्ता , भोजन आदि का भरपूर इंतजाम होता है। श्रद्धालु बड़े उत्साह के साथ श्याम बाबा के दर्शन को आतुर रहते हैं।

खाटुश्याम मेला 2018 की तारीख
इस वर्ष 2018 में भक्तो की भारी भीड़ को देखते हुए यह मेला बारह दिन का किया गया है।
खाटू श्याम मेला कब से कब तक –
16 फरवरी 2018 शुक्रवार ( पड़वा ) से — 27 फरवरी 2018 मंगलवार ( बारस ) तक इस वर्ष लगभग 30 लाख लोगों के खाटूश्याम बाबा के दर्शन करने पहुंचने की संभावना है।

खाटू में किसका मंदिर है

खाटू मंदिर में श्री श्याम बाबा के नाम से पूजे जाने वाले असल में महाभारत कालीन बर्बरीक हैं जो भीम के पोते और घटोत्कच के बेटे थे।
महाभारत के समय उनके बलिदान से प्रसन्न होकर श्री कृष्ण ने उन्हें वरदान दिया था कि वे कलियुग में श्याम के नाम से पूजे जायेंगे और सच्चे मन और प्रेमभाव से उनकी पूजा करने वाले की सभी मनोकामना पूर्ण होगी।
खाटू श्याम बाबा की रोचक पूरी कहानी जानने के लिए यहाँ क्लिक करें। बर्बरीक ने अपना शीश दान किया था अतः उन्हें शीश के दानी भी कहते हैं।
बर्बरीक का शीश इसी खाटू नगर में दफनाया गया था जो बाद में प्रकट हुआ और उसे रूप सिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कंवर ने सन
1027 में मंदिर बनवाकर उसमें सुशोभित किया। इसके पश्चात सन 1720 में मारवाड़ के शासक ठाकुर ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया।

खाटू श्याम बाबा के अन्य नाम

खाटू के श्याम बाबा को उनकी विशेषताओं के कारण भक्त लोग प्रेमपूर्वक अनेक नामों से पुकारते हैं जो इस प्रकार हैं –
1. हारे का सहारा : अपनी माता की सलाह पर कम शक्ति वाले और हारने वालों के सहायक।
2. तीन बाण धारी : भगवान शिव की कठिन तपस्या करके वरदान स्वरुप तीन बाण प्राप्त करने वाले।
3. लखदातार : उदारता से भक्त द्वारा जो भी माँगा गया हो उसे दान करने वाले।
4. खाटू नरेश : खाटू धाम के राजा – खाटू और पूरे संसार पर राज करने वाले।
5. कलयुग के अवतार : कलयुग के भगवान की महिमा श्री कृष्ण से प्राप्त करने वाले।
6. श्याम प्यारे : सबको निष्काम प्रेम करने वाले और सभी के प्यारे।
7. लीला के असवार : नीले रंग के घोड़े पर सवार होने वाले।
8. बलिया देव : दिव्य शक्ति वाले देवता।
9. मोर छड़ी धारक : मोर पंख की छड़ी धारण करने वाले।

आयसा माना जाता हैं क़ि खाटू श्याम किशन जी के अवतार हैं. ठाकुर जी की पूजा करने से आपकी मनोकामना पूरी होती हैं. ठाकुर जी को सही तरह से सजाने सवारने के लिए ठाकुर जी ड्रेस आज ही ऑर्डर करे. अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गये इस लिंक को क्लिक करे
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मेले में व्यवस्था

सीकर जिला प्रशासन और श्री श्याम मन्दिर कमेटी मिलकर मेले की व्यवस्था सँभालते हैं। जिसमे वाहनों की पार्किंग , रोडवेज बसें , स्वास्थ्य सेवायें , एम्बुलेंस , दवायें , बिजली , पानी , सीसी टीवी कैमरे आदि का उचित प्रबंध किया जाता है ताकि आने वाले भक्तो को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो। फिर भी भक्तो को चाहिए की व्यवस्था बनाये रखने में शांति पूर्ण ढंग से सहयोग करे और कोई अवांछित काम ना खुद करे ना किसी को करने दे। असामाजिक तत्वों द्वारा गलत हरकत की जाये तो उसकी तुरंत सूचित करे।
20 फरवरी 2018 से 27 फरवरी 2018 तक रींगस से खाटू रोड़ पर वाहनों का आवागमन पूरी तरह बंद रहेगा। यह मार्ग केवल पदयात्रियों के लिए रहेगा । 20 फरवरी 2018 से सभी वाहन मण्ढ़ा रोड़ से हनुमानपुरा होकर पार्किंग तक आएंगे।